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(as of Mar 25, 2024 02:41:54 UTC – Details)
योग मार्ग के अभ्यासी को साधनाकाल में अनेक तरह के अनुभव आते हैं। उनका सटीक विश्लेषण न कर पाने से साधक के भ्रमित होने की सम्भावना बनी रहती है। इस पुस्तक में योगाभ्यास करने की प्रामाणिक विधि के साथ-साथ ध्यानावस्था में आनेवाले अनुभव और उनके अर्थ को सहज, सरल एवं रोचक शैली में प्रस्तुत किया गया है। योगी श्री आनन्द जी के अनुभवों का अदभुत संकलन जिसे पढ़कर एक ओर साधक रोमांचित होता है वहीं दूसरी ओर उसे दृढ़ता पूर्वक अभ्यास करने की प्रेरणा मिलती है। जैसे मधुमक्खी अथक परिश्रम करके शहद का संचय करती है उसी तरह से योगी श्री आनन्द जी ने साधकों के कल्याण की प्रबल इच्छा से अपने अनुभवों को एकत्र करने का श्रमसाध्य कार्य किया है। निश्चय ही यह पुस्तक कुण्डलिनी जागरण एवं समाधी के द्वारा अजर, अमर, अविनाशी, नित्य आत्म तत्त्व की ओर साधकों को प्रवृत्त करने में सहायक है.
ASIN : B07SB81PB4
Language : Hindi
File size : 1906 KB
Text-to-Speech : Enabled
Enhanced typesetting : Enabled
Word Wise : Not Enabled
Print length : 439 pages
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